कभी मस्जिद के इस कमरे में रहता था इरफान-यूसुफ पठान का परिवार, आज करोड़ो के बंगले के हैं मालिक
अगर क्रिकेटर भाइयों की जोड़ी बात हो तो ज़ेहन में सबसे पहला नांम इरफान और यूसुफ पठान का आता है. शायद भारत क्रिकेट इतिहास में क्रिकेटर भाईयों को इतनी सफल जोड़ी पहले रही हो.
गुजरात के वडोदरा शहर में रहने वाले इन दो भाइयों ने टीम इंडिया को अपने दम पर कई दमदार मुकाबलों में जीत दिलाई. छोटे भाई इरफान गेंदों को स्विंग कराने के साथ साथ बड़े शॉट खेलने में माहिर तो वही दूसरी तरफ के यूसुफ की हार्ड हिटिंग का हर कोई दीवाना रहा है.
लेकिन अपने घर से भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने का उनका यह सफर थोड़ा भी आसान नहीं था. यूसुफ और इरफान का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था. उनके पास रहने के लिए घर नहीं था. उनके पिता मस्जिद में मुअज्जन (इबादतगाह में अजान देने वाला) का काम करते थे. वह मस्जिद के पीछे बने एक छोटे से कमरे में रहते थे. मस्जिद के इसी कमरे की पिछले ही दिनों यूसुफ पठान ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें भी शेयर की थी.
इरफान किसी जमाने में किराए के एक छोटे से घर में रहते थे. कुछ दिनों पहले इंटरव्यू में इरफान ने कहा था कि, 5 सदस्यों के परिवार के साथ मस्जिद के पीछे एक कमरे के घर में वे रहते थे. उस दौरान वो घर बहुत छोटा था, साथ ही वो वहां वॉशरूम नहीं था, इसलिए उन्हें बाहर जाना पड़ता था. हालांकि बाद में उन्होंने अपना घर बदल लिया था जहां पर घर में वॉशरुम था. लेकिन आज उनके पास आलीशान बंगला है, जिसकी कीमत करोड़ो मे है.
इरफान औऱ यूसुफ के माता-पिता की यह इच्छा थी कि उनके दोनों बेटे पढ़ लिख कर किसी ऊंचे पद पर काम करें. लेकिन वह तो दिन भर क्रिकेट में मग्न रहते, ऐसे में पढ़ाई ये दोनो भाई पीछे ही रह गए.
शुरुआत में वो मस्जिद के परिसर में क्रिकेट खेला करते थे लेकिन लोगों को परेशानी होने के कारण उन्होंने वहाँ खेलना बंद कर दिया. बाद में उनके मामा अहमद ने दोनों को एक बल्ला खरीदकर दिया था. इरफान पठान के क्रिकेट के जज़्बे को भारत के पूर्व कप्तान दत्ता गायकवाड़ ने पहचना और उनकी प्रतिभा को निखारा.
16 साल की उम्र में इरफान पठान ने वडोदरा के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट के डेब्यू किया. आखिरकार साल 2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट टीम में चुने जाने के बाद भारत के लिए उनका खेलने का सपना साकार हुआ. हांलाँकि यूसुफ को अपने इंटरनेशनल डेब्यू के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा और उन्होंने साल 2007 में भारत के लिए डेब्यू किया.
दोनों 2007 टी-20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का हिस्सा थे और यूसुफ ने 2011 वर्ल्ड कप में भी अपनी जगह बनाई थी.