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जम्मू-कश्मीर की Armless तीरंदाज़ शीतल ने रचा इतिहास, Asian Para Games 2023 में जीते 3 मेडल

तीरंदाजी एक ऐसा खेल है जिसमें कौशल, सटीकता, दूरदर्शिता, एकाग्रता और अच्छे नियंत्रण की आवश्यकता होती है. जम्मू और कश्मीर राज्य की 16 वर्षीय तीरंदाज शीतल देवी के पास ये सभी चीजें हैं लेकिन हाथ नहीं हैं, और फिर भी उन्होंने चीन के हांगझोऊ खेले जा रहे एशियन पैरा गेम्स में मेडल की हैट्रिल लगाकर इतिहास रच दिया.

पैरों से शीतल ने दो गोल्ड पर लगाया निशाना

दोनों हाथ न होने के बावजूद शीतल देवी ने अपने पैरों के जरिए दो गोल्ड मेडल्स पर निशाना लगाया. शीतल अपने पैरों से तीर चलाती है. शीतल देवी एशियाई पैरा खेलों में एक ही सत्र में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं, जिससे भारत के पदकों की संख्या 99 पर पहुंची.

जम्मू कश्मीर की रहने वाली 16 वर्षीय शीतल ने चौथे एशियाई पैरा खेलों में शुक्रवार को शानदार शुरुआत की और महिलाओं की कंपाउंड ओपन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता. शीतल देवी ने तीरंदाजी में शानदार प्रदर्शन करते हुए महिला कंपाउंड ओपन इवेंट में सिंगापुर की अलीम नूर सियाहिदा को हराया.

शीतल ने कुल 3 पदक जीते

शीतल देवी ने इस हफ्ते हांग्जो में एशियाई पैरा खेलों में दो और पदक जीते. उन्होंने कंपाउंड मिश्रित वर्ग में स्वर्ण और महिला युगल में रजत जीता था. हांग्जो में शीतल ने सरिता के साथ जोड़ी बनाई और महिला टीम में रजत पदक जीता. मतलब ये कि शीतल ने कुल 3 पदक हासिल किए हैं.

इस बीच, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई दी.

जम्मू-कश्मीर की है शीतल देवी

दुनिया की एकमात्र बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज शीतल देवी अगले साल पेरिस में होने वाले पैरालंपिक खेलों के लिए कोटा हासिल करना चाहती हैं. शीतल का जन्म फोकोमेलिया सिंड्रोम के साथ हुआ था, यह एक दुर्लभ जन्मजात विकार है जिसके कारण हाथ-पैर अविकसित रहते हैं. शीतल ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में बताया था कि “शुरुआत में तो मैं धनुष ठीक से उठा भी नहीं पाता था. लेकिन, कुछ महीनों तक अभ्यास करने के बाद, यह आसान हो गया,.

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