Home INDIA Chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग, भारत ने रचा इतिहास, 15 साल पहले शुरु हुआ था मिशन मून

Chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग, भारत ने रचा इतिहास, 15 साल पहले शुरु हुआ था मिशन मून

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Chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग, भारत ने रचा इतिहास, 15 साल पहले शुरु हुआ था मिशन मून

भारत के मिशन मून चंद्रयान-3 ने चांद को चूमकर इतिहास रच दिया है. ISRO का ये मिशन 23 अगस्त (बुधवार) को शाम 6.04 बजे चांद पर उतरा. इसी के साथ चंद्रमा पर उतरने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया. इससे पहले अमेरिका, USSR (पूर्व सोवियत संघ) और चीन ये कारनामा कर चुके हैं. भारत के चंद्रयान-3 की सबसे खास बात ये है कि वह साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र) पर उतरा, जो अब तक कोई भी देश नहीं कर पाया था. इसरो के इस कारनामे पर पीएम मोदी ने कहा, हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया…भारत अब चंद्रमा पर है.

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से युक्त लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा ने सॉफ्ट लैंडिंग की. इसरो को चार साल में दूसरी कोशिश में ये सफलता मिली है. चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है. इसका उद्देश्य चांद पर विचरण करना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग करना है. चंद्रयान-3 14 जुलाई को लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपण किया गया था. इसकी कुल लागत 600 करोड़ रुपये है.

Chandrayaan-3 Budget

भारत का चंद्रयान-3 मिशन आश्चर्यजनक रूप से चंद्रयान-2 से ज्यादा किफायती है. चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च हुआ था. इसरो के पूर्व चेयरमैन के सिवन के मुताबिक, इस मिशन का जो अप्रूव्ड कॉस्ट है वो लगभग 250 करोड़ है. इसमें लॉन्च व्हीकल की लागत शामिल नहीं है, लेकिन लैंड रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल की लागत शामिल है. इसके अलावा, लॉन्च सर्विस की लागत 365 करोड़ थी, ऐसे में पूरे मिशन की लागत 615 करोड़ या लगभग 75 मिलियन डॉलर के आसपास है.

Chandrayaan-2 Budget

चंद्रयान-2 भारत का सबसे महंगा लूनर मिशन रहा है, हालांकि ये असफल हो गया था. जानकारी के मुताबिक, मिशन में लैंडर, ऑर्बिटर, रोवर, नेविगेशन और ग्राउंड सपोर्ट नेटवर्क की लागत 603 करोड़ थी, जबकि जियो-स्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल की लागत 375 करोड़ थी, जिससे की चंद्रयान 2 का टोटल बजट 978 करोड़ पर पहुंचा था.

Chandrayaan-1 Budget

चंद्रयान-1 भारत के चंद्रयान मिशन का पहला लूनर प्रोब था. इसे अक्टूबर, 2008 में लॉन्च किया गया था और इसने अगस्त, 2009 तक काम किया था. इस मिशन के साथ ही इसरो चांद की सतह पर पहुंचने वाला पांचवां नेशनल स्पेस एजेंसी बन गया. इस मिशन की लागत का अनुमान 386 करोड़ रुपये या लगभग 48 मिलियन डॉलर था. तो यानी कुल मिलाकर हम अपने चंद्रयान मिशन पर 1,979 करोड़ या लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं.

अभी तक चांद की सतह पर यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, चीन और सोवियत यूनियन ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए थे. लेकिन आज चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है.

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