सफीना हुसैन की संस्था ‘एजुकेट गर्ल्स’ को मिलेगा रैमन मैग्सेसे अवार्ड, सम्मान पाने वाली पहली भारतीय संस्था
लड़कियों की शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करने वाली भारतीय संस्था ‘एजुकेट गर्ल्स’ को 2025 के प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है. यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि ‘एजुकेट गर्ल्स’ यह सम्मान पाने वाली पहली भारतीय संस्था बन गई है. इस संस्था की स्थापना सफीना हुसैन ने की थी.
दिल्ली से लंदन तक की पढ़ाई
दिल्ली में जन्मी सफीना के पिता यूसुफ हुसैन जाने-माने अभिनेता थे पढ़ाई में हमेशा आगे रहने वाली सफीना ने आगे चलकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक की डिग्री हासिल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने समाजसेवा का रास्ता चुना और लड़कियों की शिक्षा को अपना मिशन बना लिया.
राजस्थान से हुई ‘एजुकेट गर्ल्स’ की शुरूआत
‘एजुकेट गर्ल्स’ दूरदराज के गांवों में उन लड़कियों को स्कूल तक लाने का काम करती है जो कभी स्कूल नहीं गईं. संस्था का उद्देश्य सामाजिक रूढ़िवादिता को दूर करना. निरक्षरता के बंधन को तोड़ना और लड़कियों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने के लिए आवश्यक कौशल, साहस और क्षमता प्रदान करना है. उनका मानना है कि शिक्षा हर लड़की का मौलिक अधिकार है.
पुरस्कार के अन्य विजेता
67वें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार का वितरण समारोह 7 नवंबर को मनीला के मेट्रोपालिटन थिएटर में आयोजित किया जाएगा. ‘एजुकेट गर्ल्स’ के साथ, दो अन्य व्यक्तियों को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इसमें मालदीव की शाहिना अली को उनके पर्यावरण संबंधी कार्यों के लिए और फिलीपींस के फ्लेवियानो एंटोनियो एल. विलानुएवा को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए चुना गया है.
भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि
इस सम्मान पर खुशी जाहिर करते हुए ‘एजुकेट गर्ल्स’ की संस्थापक सफीना हुसैन ने कहा. “यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है.” उन्होंने कहा कि संस्था का लक्ष्य अगले दस वर्षों में एक करोड़ शिक्षार्थियों तक पहुँचना और इस पहल को भारत के बाहर भी ले जाना है. सफीना का मानना है कि जब एक लड़की शिक्षित होती है, तो वह पूरे परिवार, पीढ़ियों और अंततः पूरे राष्ट्र में सकारात्मक बदलाव लाती है.