बेकरी में काम करते थे पिता, बेटी उड़ा रही Airbus 320, इमोशनल कर देगी सैयदा फातिमा की कहानी
फातिमा आज कई युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा और महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं. हैदराबाद के पुराने शहर इलाके में रहने वाली सैयदा सलवा फातिमा भारत की उन चुनिंदा मुस्लिम महिलाओं में से हैं, जिनके पास कमर्शियल पायलट का लाइसेंस है. सैयदा के पिता सैयद अशफाक अहमद बेकरी चलाते हैं. फातिमा आर्थिक तंगी के कारण स्कूल छोड़ने के कगार पर थी. फिर उनकी प्रिंसिपल ने दो साल तक उनकी पढ़ाई में मदद की. फातिमा को अपने सपनों को हासिल करने में तेलंगाना सरकार ने भी मदद की थी. न्यूजीलैंड और बहरीन में फॉरेन एविएशन एकेडमी से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पायलट का लाइसेंस हासिल किया .
फातिमा ने पहली बार तेलंगाना एविएशन एकेडमी में सेसना स्काईवॉक पर आसमान में उड़ान भरी थी. फिलहाल वे एक टॉप प्राइवेट एयरलाइन की ऑफिसर हैं और एयरबस 320 उड़ाती हैं. फातिमा कहती हैं ‘मैं एक पायलट बनना चाहता था, लेकिन हवाई जहाज का टिकट भी नहीं खरीद पा रही थी. हालांकि मेरी पहली उड़ान यात्री सीट से नहीं बल्कि कॉकपिट से थी.’
फातिमा ने कहा फ्लाइंग एक सीरियर प्रोफेशन है. अपनी चिंताओं को कॉकपिट के दरवाजे के बाहर रखकर आना होता है. मुझे मेरे माता-पिता, पति और ससुराल वालों का बहुत सहयोग मिला. यही वजह है कि मैं अपने सपने को पूरा कर पा रही हूं. उनका कहना है कि उन्हें कभी धार्मिक भेदभाव का सामना करना नहीं पड़ा. फातिमा कहती हैं ‘हिजाब, जो मैं हवाई यात्रा के दौरान पहनती हूं, वह मुझे मेरी एयरलाइन द्वारा उपहार में दिया गया था. मेरे साथ कोई पक्षपात नहीं हुआ.’
फातिमा को अपने सपनों को हासिल करने में तेलंगाना सरकार ने भी मदद की थी. न्यूजीलैंड और बहरीन में फॉरेन एविएशन एकेडमी से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पायलट का लाइसेंस हासिल किया और एक टॉप एयरलाइन में नौकरी कर रही हैं. उनका कहना है किमेरी बड़ी बेटी मरियम फातिमा शाकिब मेरे लिए एक आशीर्वाद है, क्योंकि मुझे उसके जन्म के ठीक बाद सरकारी स्कॉलरशिप मिली थी.