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बाप-बेटे की ऐसी जोड़ी जिन्होने इंडियन क्रिकेट टीम की कप्तानी की

क्रिकेट जगत में कई बाप-बेटों की जोड़ियां आई. बाप के नक्शे कदम पर चलकर जहां कई बेटों ने खूब नाम कमाया तो कई बेटे उम्मीदों के बोझ तले दब गए. लेकिन आज हम जिस बाप-बेटे की जोड़ी की बात कर रहे हैं उन्होने न सिर्फ नाम कमाया बल्कि अपने देश की क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की.

विश्वकप क्रिकेट में ऐसी मिसालें बहुत कम ही देखने को मिलेंगी जिसमें बाप-बेटे दोनो को कप्तानी करने का मौका मिला. हम बात कर रहे पूर्व भारतीय क्रिकेट नवाब मंसूर अली खान पटौदी और उनके पिता नवाब इफ्तिखार अली पदौदी की. जिन्हे टाइगर पटौदी के नाम से भी जाना गया.

Mansur Ali Khan Pataudi--the hero who conquered setbacks of fate

मंसूर अली खान लम्बे समय तक भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे. टीम इंडिया को विदेशी मैदान पर पहली जीत उन्ही की कप्तान में मिली. साल 1967 न्यूजीलैंड के खिलाफ ऑकलैंड में टीम इंडिया ने 272 रन से ये ऐतिहासिक जीत हासिल की थी.

मंसूर अली खान भारत के ऐसे इकलौते क्रिकेट हैं जिन्होने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कप्तानी की है. साल 1961 में जब वह ऑक्सफोर्ड के लिए खेलते थे तब एक दूर्घटना में उन्होने अपनी दाई आंख खो दी थी. इसके बावजूद उन्होने टीम इंडिया में जगह बनाई.

साल1961 में मंसूर अली खान ने डेब्यू किया. इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में खेले गए इस मैच में वह पहली पारी में केवल 13 रन बना पाये. दूसरी पारी में बारिश के वजह से उन्हे मौका नहीं मिला. इसके बाद कोलकाता टेस्ट में उन्होने (64 और 32) रन की पारी खेली. सीरीज़ का आखिरी मैच मद्रास में था इसमें पटौदी ने 103 रन की शतकीय पारी खेली. इंग्लैंड के खिलाफ यह सीरीज़ टीम इंडिया ने 2-0 से जीती और मंसूर अली खान टीम के स्टार बल्लेबाज बन गए.

इसके बाद 1962 में वेस्टइंडीज दौरे पर उन्हे कप्तान नारी कॉन्ट्रेक्टर के साथ उपकप्तान बनाया गया. इस सीरीज़ के एक मैच में नारी कॉन्ट्रेक्टर चोटिल हो गए. जिसके बाद चौथे टेस्ट में कप्तानी का भार मंसूर अली पर आ गया. महज़ 21 साल 77 दिन की उम्र में वह दुनिया के सबसे युवा कप्तान बन गए. उनका यह रिकॉर्ड 2004 में जाकर टूटा. वह 1975 तक टीम इंडिया का हिस्सा रहे. उन्होने 46 टेस्ट मैच खेले जिसमें से 40 बतौर कप्तान खेले. उन्होने कुल 2,793 रन बनाए.

मंसूर अली खान को क्रिकेट विरासत में मिला था. उनके पिता नवाब इफ्तिखार अली पटौदी एक शानदार क्रिकेटर और हॉकी प्लेयर थे. 1928 में खेले गए ओलंपिक खेलों में टीम इंडिया ने गोल्ड मेडल जीता था. बड़े नवाब इस टीम का हिस्सा थे. इसके बाद उन्होने क्रिकेट में हाथ आजमाया.

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1932 में वह इंग्लैंड चले गए जहां उन्होने कांउटी क्रिकेट खेला. इस दौरान वह इंग्लैंड में चुन लिए गये. 1934 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एशेज ट्रॉफी का हिस्सा रहे. इफ्तिखार अली पटौदी 1946 में भारत आए और उन्हे इंग्लैंड दौरे के लिए टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया. टीम इंडिया के लिए उन्होने 3 टेस्ट मुकाबले खेले. 1952 में पोलो खेलते समय घोड़े से गिर जाने पर उनकी म़़ृत्यू हो गई.

नवाब इफ्तिखार अली पटौदी और मंसूर अली खान पटौदी भारतीय क्रिकेट की एकमात्र ऐसी बाप-बेटे की जोड़ी है जिन्हे टेस्ट क्रिकेट में नेशनल टीम की कप्तानी का मौका मिला. इनके अलावा लाला अमरनाथ और उनके बेटे महिंद्र अमरनाथ की बाप-बेटे की जोड़ी टीम इंडिया के कप्तानी कर चुकी है. लाला अमरनाथ 15 टेस्ट में टीम इंडिया के लिए कप्तान रहे और महिंद्र अमरनाथ को एक वनडे मैच में कप्तानी का मौका मिला.

Fahad Hayat

Fahad Hayat is a Editor at The Focus live. He likes to write on Sports and Politics. 6 Year Experience in Print & Digital Media.

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