स्कूल में से उठा टीम में खिलाया, पत्नी किडनैप-जान से मारने की धमकी, बने पादरी, रुला देगी टटेंडा टायबू की कहानी
तातेंदा ताइबू (Tatenda Taibu) ने पहले इंटरनेशनल डेब्यू किया और फिर अंडर-19 वर्ल्ड कप और फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला. 14 मई 1983 को हरारे में तातेंदा ताइबू का जन्म हुआ था. वे गजब के विकेटकीपर और उपयोगी बल्लेबाज थे.
तातेंदा ताइबू (Tatenda Taibu) का कद पांच फीट के आसपास था. लेकिन विकेटों के पीछे वे काफी चपल थे. 2001 में उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों फॉर्मेट में जिम्बाब्वे की तरफ से डेब्यू कर लिया था. ताइबु हरारे की चर्चिल बॉयज हाई स्कूल में पढ़ते थे. तब ही उनका जिम्बाब्वे की टीम में चयन हो गया था.
वे टीम के साथ वेस्ट इंडीज दौरे पर गए और वहीं उनका डेब्यू भी हो गया. विकेटकीपर बल्लेबाज ताइबू जिम्बाब्वे के कप्तान बनने वाले पहले ब्लैक मैन थे. कप्तान बनने के बाद जिम्बाब्वे के क्रिकेट बोर्ड और राजनेताओें से उनका काफी टकराव हुआ. उनके परिवार को काफी धमकियां मिलीं.
उनकी पत्नी को किडनैप करने की कोशिश की गई. इसके चलते कप्तान बनने के एक ही साल में उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया और संन्यास ले लिया. उन्होंने बांग्लादेश, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से शरण मांगी. दूसरे बड़े खिलाड़ियों जैसे एंडी फ्लावर, ग्रांट फ्लावर को जान से मारने की धमकियां मिली.
नतीजा इन सभी ने इंटरनेशनल क्रिकेट ही नहीं बल्कि देश भी छोड़ दिया. आखिरकार वे इंग्लैंड में जाकर रहे. साल 2001 में इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले टटेंडा टायबू (Tatenda Taibu) ने अपने करियर में 28 टेस्ट मैचों में 1546 रन बनाए. जबकि वनडे में उन्होंने 3393 रनों का योगदान दिया, जिसमें दो शतक भी शामिल थे. टायबू ने अपने देश के लिए 17 टी20 मैच भी खेले.
टटेंडा टायबू (Tatenda Taibu) ने महज 16 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा. टायबू को मुगाबे सरकार की ओर से जान से मारने की धमकियां मिली और नतीजा ये हुआ कि टायबू ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया. इसके बाद टायबू एक चर्च में पादरी बन गए. इस तरह टायबू का करियर महज 29 साल की उम्र में खत्म हो गया.