जानिए वीरेंन्दर सहवाग के बारे में, क्रिकेटर बनने का कहानी, पत्नि-बच्चें, Net Worth और कुछ अनसुनी बातें
Virendra Sehwag: वीरेन्द्र सहवाग (जन्म 20 अक्टूबर 1978) एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं. दाएं हाथ के ओपनिंग बल्लेबाज और दाएं हाथ से ही ऑफ स्पिन बॉलिंग करने वाले विरेन्द्र सहवाग एक अग्रेसिव क्रिकेटर रहे. सहवाग की अपने करियर में अधिकतर सचिन तेंदुलकर के साथ तुलना होती रही. जिसके पीछे उनकी सचिन जैसी बैंटिग स्टाइल और कद काठी रही. सहवाग ने खुद माना कि कई बार उन्होंने सचिन की खेलने स्टाइल अपनाने की कोशिश की है.
सहवाग ने अपने करियर का पहला एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय मैच 1999 में खेला और 2001 में भारतीय टीम का हिस्सा बने. 2009 के अप्रेल में, सहवाग अकेले ऐसे भारतीय क्रिकेटर बने जिसे विस्डेन लीडिंग क्रिकेटर के अवार्ड से 2008 में उनके प्रदर्शन के लिए सराहा गया. सहवाग को 2009 में भी यह अवार्ड दिया गया और इस तरह वह ऐसे पहले खिलाड़ी बने जिसने दो साल तक यह अवार्ड जीता था.
सहवाग एक अनाज व्यापारी के यहां जन्मे. उनका बचपन एक ज्वाइंट फैमिली के बीच बीता. सहवाग अभी दिल्ली में बस चुके हैं जबकि वह मूलत: हरियाणा से संबंध रखते हैं. उनके पिता कृषन और माता कृषना सहवाग के तीन और संताने हैं. उनके पिता के अनुसार सहवाग की क्रिकेट में रूचि उन्हें बचपन में दिए गए एक बल्ले के कारण है जो उन्हें तब दिया गया था जब वे सिर्फ सात महिने के थे. उनके पिता ने सहवाग को क्रिकेट से दूर रखने की कोशिश की क्योंकि सहवाग का खेलते हुए एक दांत टूट गया था. परंतु अपनी माता की सहायता से सहवाग खेलते रहे. सहवाग जामिया मिलिया इस्लामिया से ग्रेजूएट हैं.
सहवाग के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. इनमें किसी भी भारतीय द्वारा टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रन (319) दक्षिण अफ्रीक के विरूद्ध मैच में दर्ज है. यह ट्रिपल सेंचुरी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट जगत की सबसे तेज तीन शतक हैं. सहवाग ने 278 बॉल खेलकर 300 रन पूरे किए थे. इसके अलावा किसी भी बल्लेबाज द्वारा बनाए गए सबसे अधिक तेज 250 रन भी सहवाग के नाम हैं. उन्होंने 207 बॉल में श्रीलंका के विरूद्ध 250 रन पूरे किए थे.
सहवाग की 309 और 293 रनों की अन्य पारियां किसी भी भारतीय के मुकाबले दूसरे और तीसरे नंबर पर सबसे बेहतरीन हैं. सहवाग विश्व के ऐसे चार खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने दो बार टेस्ट क्रिकेट की एक ही पारी में 300 रन से अधिक रन बनाए हैं. वह ऐसे अकेले खिलाड़ीहैं जिसने दो ट्रिपल सेंचुरी बनाईं और पांच विकेट भी लिए.
2009 के मार्च में सहवाग ने उस समय तक क्रिकेट जगत की सबसे अधिक तेज सेंचुरी एकदिवसीय मैचों में जमाई. यह शतक 60 गेंदों पर बनाया गया था. 8 दिसबंर 2011 को सहवाग ने अपने करियर की अकेली डबल सेंचुरी वेस्टइंडीज के विरूद्ध जमाई. इस डबल सेंचुरी के साथ वह सचिन तेंदुलकर के बाद ऐसे क्रिकेटर बने जो ऐसा कर पाया था. उनका स्कोर 219 रन 149 गेंदों पर उनके दौर तक किसी खिलाड़ी द्वारा बनाया गया अधिकतम स्कोर थे जिसे बाद में रोहित शर्मा ने 2014 के नवंबर में 173 गेंदों में 264 रन बनाकर तोड़ा. सहवाग दुनिया के ऐसे दो खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने ने एकदिवसीय मैच में डबल सेंचुरी और टेस्ट क्रिकेट में ट्रिपल सेंचुरी जमाई है. उनके अलावा ऐसा करने वाले दूसरे खिलाड़ी क्रिस गेल हैं.
Virendra Sehwag का व्यक्तिगत जीवन
सहवाग की शादी आरती अहलावत से 2004 के अप्रैल में हुई. सहवाग के दो बेटे आर्यवीर (जन्म 18 अक्टूबर 2007) और वेदांत (जन्म 2010 ) हैं.
अवार्ड
सहवाग 2002 में अर्जुन अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं. 2008 और 2009 में सहवाग को दुनिया का सबसे बेहतरीन विस्डेन लीडिंग क्रिकेटर चुना गया. 2010 में सहवाग आईसीसी के टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर बने. 2010 में ही उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा.
उपकप्तान
सहवाग को राहुल द्रविड के कप्तानी में भारतीय टीम का उपकप्तान 2005 में बनाया गया परंतु उनके बुरे प्रदर्शन को देखते हुए उनके स्थान पर वीवीएस लक्ष्मण को यह पद 2006 में दे दिया गया. 2007 की जनवरी में, सहवाग को भारतीय एकदिवसीय टीम से बाहर कर दिया गया. बाद में उन्हें टेस्ट टीम से भी निकाल दिया गया.
भारतीय टीम के उपकप्तान रहते हुए, सहवाग ने टीम इंडिया के कप्तानी भी दो एकदिवसीय और एक टेस्ट मैचों के लिए तत्कालिन कप्तान राहुल द्रविड के चोटग्रस्त होने पर संभाली. 2008 में सहवाग के फॉर्म वापस आने पर और अनिल कुंबले के संन्यास लेने के बाद, सहवाग को फिर से भारतीय टीम का टेस्ट और एकदिवसीय मैचों के लिए उपकप्तान बना दिया गया. 2009 की शुरूआत में, सहवाग एक बार फिर भारतीय टीम के बेहतरीन क्रिकेटरों में शामिल हो गए. सहवाग ने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्म्स से 20 अक्टूबर 2015 को संन्यास ले लिया.
इडियंन प्रीमियर लीग
सहवाग इडियंन प्रीमियर लीग के पहले दो एडीशन में देल्ही डेयरडेविल्स के कप्तान रहे. इसके बाद उन्हें इस पद को अपनी बैटिंग स्टाइल गौतम गंभीर को सीखाने पर ध्यान देने के लिए छोड़ दिया. आईपीएल के चौथे एडिशन में वह फिर से देल्ही डेयरडेविल्स के कप्तान के तौर पर लौटे. सहवाग पांचवे एडीशन के लिए भी टीम के कप्तान बने रहे जहां उन्होंने पांच लगातार हॉफ सेंचुरी बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया. वह ट्वंटी20 फॉर्मेट के ऐसे अकेले खिलाड़ी हैं जो ऐसा कर सके हैं.