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इस क्रिकेटर की कहानी है बेहद दर्दभरी,जिसे माँ ने बनाया क्रिकेटर वहीं नहीं देखपाई सफलता

टीम इंडिया के टेस्ट स्पेशलिस्ट बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) ने हालही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना 100वां टेस्ट खेला था. वह वे ऐसा करने वाले 13वें भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं. पुजारा भारतीय क्रिकेट टीम के टॉप प्लेयर्स में से एक हैं. कमाल की टैकनीक और शांत स्वभाव उन्हें अलग पहचान दिलाती है. हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि पुजारा ने यहां तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष किया है.
साल 2006 में मां के निधन की खबर चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) को राजकोट के बस स्टैंड पर तब मिली थी, जब वो एक जिला स्तरीय मुकाबला खेलकर लौट रहे थे. एक बेटे के लिए कम उम्र में ही मां के खोने के गम को समझा जा सकता है. वो पल दुख और पीड़ा वाला था. लेकिन पुजारा ने वो घूंट पी लिया. उन्होंने आंसू बहाने के बजाए चुप्पी साध ली.
ट्रेन के सफर में चेतेश्वर पुजारा के साथ ऐसा हुआ कि अगर कोई दूसरा बच्चा होता तो घबरा जाता. लेकिन, 13 साल के होने के बावजूद पुजारा नहीं घबराए. दरअसल, ट्रेन में उनका सूटकेस चोरी हो गया था. उसमें उनकी किट, पैसा और मोबाइल फोन रखा हुआ था.
-25 जनवरी 1988 को राजकोट में जन्मे के करियर में उनकी मां रीना का बड़ा योगदान रहा है.
– लेकिन वो पुजारा की कामयाबी नहीं देख पाईं.
– पुजारा 2005 में अंडर-19 का मैच खेलने निकले थे तब उन्होंने अपनी मां से फोन पर बात की.
– उन्होंने ने मां से कहा कि वे पिता को बोल दें कि वे बस मैच के लिए निकल रहे हैं, और जब लौटें तो पिता उन्हें लेने आ जाएं.
– अगले दिन जब पुजारा मैच के लिए स्टेडियम पहुंचे उनकी मां की मौत की खबर आई.
– ये 17 साल के पुजारा के लिए बहुत बड़ा सदमा था.
– पुजारा की मां की कैंसर से मौत के बाद उन्होंने क्रिकेट को मां के सपने की तरह जिया.
– और ठीक 5 साल बाद अपने परफॉर्मेंस के दम पर उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया.

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