Home INDIA VIDEO: Eid ul Adha पर बिकने आया बकरा मालिक के गले लगकर खूब रोया, कोई नहीं रोक पाया आंसू

VIDEO: Eid ul Adha पर बिकने आया बकरा मालिक के गले लगकर खूब रोया, कोई नहीं रोक पाया आंसू

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VIDEO: Eid ul Adha पर बिकने आया बकरा मालिक के गले लगकर खूब रोया, कोई नहीं रोक पाया आंसू

बेजुबान जानवर भी अपने मालिक से खूब मोहब्बत करते हैं। मालिक से जुदाई का वक्त आता है तो इनका भी दिल टूटता है। ये रोने तक लगते हैं। ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक बकरा अपने मालिक के गले लगकर इंसानों की तरह फूट-फूटकर रोता नजर आ रहा है।

मालिक के कंधे पर सिर पर रखकर रोने लगा बकरामालिक के कंधे पर सिर पर रखकर रोने लगा बकरा रोते हुए इस बकरे का यह वीडियो रविवार को मनाई गई ईद-उल अजहा यानी बकरीद 2022 से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि बकरीद पर बकरा बिकने आया था। मालिक ने उसका सौदा किया तो बकरा मालिक के कंधे पर सिर रखकर रोने लगा।

 कोई नहीं रोक पाया आंसू

कोई नहीं रोक पाया आंसू बकरे के रोने की आवाज वहां मौजूद हर किसी शख्स को सुनाई दी, जिससे कोई आंसू नहीं रोक पाया। मालिक ने भी बकरे को गले से लगा लिया। वीडियो कहां और कब का है? इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। हालांकि यह वीडियो किसी बकरा मंडी का लग रहा है।

इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने में मनाते हैं बकरीद बता दें कि ईद-उल फित्र के बाद मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार बकरीद है। यह इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने में मनाया जाता है। चंद्रमा की स्थिति के आधार पर प्रतिवर्ष ये तिथि बदलती रहती है। इस बार बकरीद भारत में 10 जुलाई को मनाई गई। मुस्लिम समुदाय ने ईदगाह में विशेष नमाज अदा की।

बकरीद पर बकरे की कुर्बानी क्यों देते हैं?
बकरीद पर कुर्बानी देने के पीछे इस्लाम धर्म में मान्यता यह है कि पैगंबर हजरत इब्राहिम 80 साल की उम्र में बेटे इस्माइल के पिता बने थे। वे अपने बेटे इस्माइल को बहुत प्यार करते थे। एक दिन हजरत इब्राहिम को ख्वाब आया कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कीजिए। इस्लामिक जानकार बताते हैं कि ये अल्लाह का हुक्म था और हजरत इब्राहिम ने अपने प्यारे बेटे को कुर्बान करने का फैसला लिया।

कुर्बानी के बाद सही सलामत रहा बेटा
हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। जब कुर्बानी देने के बाद आंखों से पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने बेटे को सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा। बेदी पर कटा हुआ मेमना पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर बकरे और मेमनों की बलि देने की प्रथा चली आ रही है।

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