Home भारत केदारनाथ त्रासदीः जब साधु के वेश में बैठे शैतानों ने इंसानियत को...

केदारनाथ त्रासदीः जब साधु के वेश में बैठे शैतानों ने इंसानियत को किया शर्मसार

257
0
  • ललित कटारिया

वो मौत का मंजर देख आज भी आंखे सिहरने लगती हैं, सुनकर रूह कांप जाती है , वैज्ञानिक भी ये पता लगाने में आज तक अक्षम हैं  कि आखिर इतनी बड़ी आपदा आने के कारण क्या हैं.  जिसमें हजारों जिंदगियों ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया हो, जिस भयावह आपदा ने हजारों परिवारों से उनके सगे संबंधियों को छीन लिये हों. जी हां आज हम बात कर रहे हैं केदारनाथ त्रादसी की. ये त्रादसी इतनी भयावह थी कि याद आते ही आज भी लासों के ढेर आंखों के सामने मंडराने लगते हैं. यही नहीं त्रास्दी के बाद जो कुछ  केदारनाथ जैसे पवित्र धाम में हुआ ये देखकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे, तो बिना देर किये आइये जानते हैं आखिर इतनी बड़ी आपदा आई कैसे?

आपको बता दें ये डरावनी आपदा साल 2013 के जून माह में आई थी.  उस साल जून 13 से लेकर 17 के बीच उत्तराखंड में काफी बारिश हुई थी.  इस बीच वहां का चौराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया था, जिससे मंदाकिनी नदी का जलस्तर देखते ही देखते बढ़ने लगा. इस बढ़े हुए जलस्तर ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी नेपाल का बड़ा हिस्सा अपनी चपेट में ले लिया. तेजी से बहती हुई मंदाकिनी का पानी केदारनाथ मंदिर तक आ गया था. लगातार 5 दिनों तक हो रही बारिश के चलते नदियों का जलस्तर भी पूरे उफान पर था. देखते ही देखते पानी का बहाव इतना तेज हुआ कि हजारों लोग काल के गाल में समा गए. इस त्रास्दी में केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री और हेमकुंड साहिब जैसी जगहों पर कहर बरपा.  लाखों लोगों को रेस्क्यू किया गया. लगभग 110000 लोगों को सेना ने सुरक्षित बचा लिया. लाखों लोगों की रोजी-रोटी घर-बार सब खत्म हो गया. हालाकि इस दौरान एक चमत्कार हुआ की आठवीं सदी में बने केदारनाथ मंदिर को आंशिक रूप से ही नुकसान पहुंच पाया. जिस पर अब तक रिसर्च चल रही है कि आखिर ये चमत्कार है या मंदिर की भौगोलिक बनावट. आपको बता दें कि  मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख है, जिससे देश के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है.  लगभग 14 साल बाद भी इसके बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं दे पाया है कि इतनी बड़ी आपदा होने के बावजूद आखिर केदारनाथ मंदिर कैसे बच पाया.

खत्म हो गए सैंकड़ों गांव
केदारनाथ आपदा ने कई गांवों को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था. जैसे केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग रामबाड़ा और गरुड़चट्टी से होकर गुजरता था. त्रासदी के दौरान बाढ़ से मंदाकिनी नदी की उफनती लहरों ने रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म कर दिया. इसके बाद सालों निर्माण कार्य चला और साल 2018 में ही ये रास्ता दोबारा तैयार हुआ. आंकड़ों के बीच एक बार ये भी जानते हैं कि इस तबाही के समय में बचाव कार्य किस पैमाने पर चला. मंदाकिनी के उफनने की घोषणा होते ही तुरंत अलर्ट जारी हो गया. इसमें रेस्क्यू के लिए सेना से 10000 जवान, नेवी के गोताखोरों से लेकर एयरफोर्स के 45 विमान भी लगे. तस्वीरें दिखने पर आज भी रोमांच हो आता है कि कैसे जवान घायलों को बचाकर कंधे पर लादे ला, ले जा रहे थे. एक लाख से ज्यादा लोगों की जान सेना ने बचाई तो 30 हजार के आसपास लोगों को पुलिस ने मदद दी. ये राहत कार्य लगभग दो महीने तक चलता रहा था.

आखिर क्यों आई आपदा
आपदा आने की वजह पर आज भी समय-समय पर बाते होती रहती हैं. हजारों शोधार्थी इस पर रिसर्च भी कर रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी त्रादसी आने के कारण क्या हैं. ज्यादातर लोग बारिश और भूस्खलन को इसकी वजह मानते हैं, वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक पहाड़ों पर लोगों की बढ़ती आमद, प्रदूषण, नदियों में प्लास्टिक का जमा होना, नदियों के रास्ते (फ्लड-वे) में इमारतें बनाने को इस भयावह मंजर का जिम्मेदार मानते हैं. यानी विशेषज्ञों के मुताबिक ये कहर प्राकृतिक कम और मानवजन्य ज्यादा था. हालाकि आज भी कोई आधिकारिक रूप से ये कहने को तैयार नहीं है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ ही केदारनाथ त्रादसी का मुख्य कारण था. आपको बता दें आपदा के लगभग दो सालों तक केदारनाथ पूरी तरह सन्नाटा पसरा था. 2017 में कहीं जाकर फिर से सड़क किनारे दुकाने लगनी शुरू हुई. 2019 में पहली बार वहां फिर से श्रधालुओं का आंकड़ा 10 लाख के पार पहुंचा.

आपदा के बाद लूटपाट
– साधुओं व वहां के लोकल लोगों शवों की उंगलियां तक काट ली
-खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी कर दी गई. जिसे खरीदना लोगों के बसकी बात नहीं था.
-वे लोग हादसे में अपनों को बिछड़ने का गम ही नहीं भुला पा रहे थे कि उन्हे जीने के लिए खाने तक के लाले पड़ गए.
-एक चाय की कीमत भी 300 रुपए लेकर 500 रुपए तक कर दी गई
– जो खाद्य सामग्री सरकार ने पहुंचाई थी उसे भी लूट लिया गया
– सैंकड़ों लोगों ने आपदा के बाद भूख से दम तोड़ दिया

भगवा चोला पहने साधुओं की शर्मनाक हरकत
भगवान को अपनी जिंदगी नाम कर देने वाले साधुओं की हरकत ने मानवता को भी शर्मसार कर दिया था. ऐसी स्थिति में जब हर कोई किसी तरह से मदद करने का प्रयास कर रहा था, तब इन ढोंगी बाबाओं का असली रूप लोगों के सामने आया. त्रासदी से मची तबाही से केदारनाथ में लाशों का डेरा लग गया था, तब ये साधु उन लाशों से जेवर और पैसे निकालने में व्यस्त थे. इन साधुओं ने इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया था. लाशों के ढेर में से ये ढोंगी साधु पैसे और गहने चुराकर अपनी जेब भरने में व्यस्त थे. कई साधु तो नीचता कि इस हद पर उतर आए थे कि गहने चुराने के लिए वो लाशों की उंगली काटने से भी नहीं रुके. इन साधुओं ने मृत लाशों से गहने, जेवर और पैसे सबकुछ चुरा लिया था.

आज भी अपनों की तलाशती हैं आंखें
केदारनाथ की विनाशकारी आपदा को 9 साल बीत चुके हैं, लेकिन आपदा में 3,183 लोगों का आज तक पता नहीं चल पाया है. आपदा में लापता होने वालों में उत्तराखंड, देश, नेपाल समेत कई देशों के लोग शामिल थे. रामबाड़ समेत कई छोटे छोटे कस्बे जो मंदाकिनी किनारे बसे थे, वहां यात्रा रूट पर चल रहे काफी तीर्थयात्री भी इस आपाद में लील हो गए थे. पुलिस के मुताबिक 3,886 गुमशुदगी दर्ज हुई जिसमें से विभिन्न सर्च अभियानों में 703 कंकाल बरामद किए गए. आज भी देश के विभिन्न स्थानों पर रहने वाले लोग अपनों की तलाश में उत्तराखंड जाते हैं .

(ललित कटारिया, लेडी श्रीराम कॉलेज, लाजपतनगर दिल्ली विश्वविद्यालय)

Previous article92 साल पुराना ऑस्ट्रेलियाई रिकॉर्ड टूटा, इस टीम ने 725 रनों से टेस्ट मैच जीतकर रचा इतिहास
Next articleविराट के शतक पर भारी पड़ा मंत्री जी का शतक, शाहबाज अहमद ने गेंद-बल्ले से मचाई तबाही, सरफराज ने ठोके 704 रन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here